आज शिक्षक दिवस है, इस अवसर पर मैं अपने जीवन में किसी भी रूप से अपना आशीर्वाद, शिक्षा, मार्गदर्शन, सहयोग करने वाले सभी गुरुजनों के प्रति आभार व्यक्त करना अपना कर्तव्य समझता हूं। जीवन मे स्कूली शिक्षा, संस्कार देने की शिक्षा, परिवार में यथोचित सम्मान देने व रखने की शिक्षा आदि में विभिन्न रूप से विभिन्न गुरुजनों का ,परिवार के माता पिता का और यहाँ तक अच्छे मित्रों का भी विशेष योगदान रहता है जिसका मुझे व्यक्तिगत रूप से अनुभव भी रहा और इन सब से कुछ न कुछ मैंने सीखा भी। इन सभी को प्रणाम करता हूं व जीवन के शेष दिनों के लिये भी आशीर्वाद, शक्ति चाहता हूं कि अपने कर्तव्य पथ पर चलता रहूं। ———- आज के ज़माने का चलन, रस्म और बयार। डिगने के लिये काफ़ी है इस रफ़्तार की बयार। मैं टिका रहा हूं फिर भी एक ही रास्ते पर ही। न अंदाज बदला, न दोस्त और न रास्ता ही। ——— पुनः मेरे जीवन को संवारने वाले सभी आदर योग्य गुरुजनों , इष्टजनों को सादर प्रणाम।

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