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बाराबंकी।फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस जनों के साथ राम सनेही घाट( भिटरिया) में बैठकर आवश्यक राजनैतिक चर्चा में भाग लिया। सभी ने यह संकल्प लिया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हटा कर राहुल गाँधी जी को प्रधानमंत्री बनाना है।

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बाराबंकी।फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस जनों के साथ राम सनेही घाट( भिटरिया) में बैठकर आवश्यक राजनैतिक चर्चा में भाग लिया। सभी ने यह संकल्प लिया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हटा कर राहुल गाँधी जी को प्रधानमंत्री बनाना है। Read More »

“सावन” का महीना प्रारम्भ हो गया है। पुराने समय मे “सावन” को लेकर एक फिल्मी गीत काफ़ी लोकप्रिय हुआ था, जो यह था। “सावन का महीना पवन करे शोर जियरा है ऐसे घड़के जैसे वन में नाचे मोर”। आज यह गीत सावन की आज की अयोध्या की दुर्दशा के संदर्भ में गीतकार लिखता तो शायद कुछ इस प्रकार होता। “”सावन का महीना, राम पथ करे शोर, जियरा रे ऐसे फड़के, फ्रैक्चर न हो जाय मोर। सावन का महीना ——-///—— “”खोद दीन नाला गहरा, बिचवा में सीवर लाइन, मकान की नींव दरके, कीचड़ ही कीचड़अपार”‘”। सावन का महीना ——///——–/ “”राम की नगरी के, राम पथ का है यह हाल, पानी बिजली की लाइन कटी, और चलना है बेहाल”।। जिस दौर का यह गाना है उसी दौर की अपनी फोटो भी मैं आपसे साझा कर रहा हूं

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“सावन” का महीना प्रारम्भ हो गया है। पुराने समय मे “सावन” को लेकर एक फिल्मी गीत काफ़ी लोकप्रिय हुआ था, जो यह था। “सावन का महीना पवन करे शोर जियरा है ऐसे घड़के जैसे वन में नाचे मोर”। आज यह गीत सावन की आज की अयोध्या की दुर्दशा के संदर्भ में गीतकार लिखता तो शायद कुछ इस प्रकार होता। “”सावन का महीना, राम पथ करे शोर, जियरा रे ऐसे फड़के, फ्रैक्चर न हो जाय मोर। सावन का महीना ——-///—— “”खोद दीन नाला गहरा, बिचवा में सीवर लाइन, मकान की नींव दरके, कीचड़ ही कीचड़अपार”‘”। सावन का महीना ——///——–/ “”राम की नगरी के, राम पथ का है यह हाल, पानी बिजली की लाइन कटी, और चलना है बेहाल”।। जिस दौर का यह गाना है उसी दौर की अपनी फोटो भी मैं आपसे साझा कर रहा हूं Read More »

कछ रजनत स हटकर यह जनकर भ आनद दत ह आज त मटट क तल बत जमन क बत ह गई घर म रशन इस स हत थ परनत आपक जन कर आशचरय हग क जब यह बलकल पररमभ म मरकट म आय त तल कमपन क इसक वजञपन दन पड थ वजञपन क गत ज वरम शल कमपन न महममद रफ सहब स 1940=1950 क दशक म गवय थ वह नमन ह

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कछ रजनत स हटकर यह जनकर भ आनद दत ह आज त मटट क तल बत जमन क बत ह गई घर म रशन इस स हत थ परनत आपक जन कर आशचरय हग क जब यह बलकल पररमभ म मरकट म आय त तल कमपन क इसक वजञपन दन पड थ वजञपन क गत ज वरम शल कमपन न महममद रफ सहब स 1940=1950 क दशक म गवय थ वह नमन ह Read More »

जननयकसघरषशलमहबबत क भवन स दश क भरमण कर सदश दन वल हमर परय नत मननय रहल गध ज क जनमदन पर मगलकमनए Rahul Gandhi Priyanka Gandhi Vadra Indian National Congress Indian National Congress – Uttar Pradesh

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जननयकसघरषशलमहबबत क भवन स दश क भरमण कर सदश दन वल हमर परय नत मननय रहल गध ज क जनमदन पर मगलकमनए Rahul Gandhi Priyanka Gandhi Vadra Indian National Congress Indian National Congress – Uttar Pradesh Read More »

“हम देखेंगे लाज़िम है कि हम भी देखेंगे। वह दिन कि जिसका वायदा है। हम देखेंगे” पाकिस्तान और हिंदुस्तान के मशहूर शायर फैज़ अहमद फ़ैज़ की मशहूर नज़्म जिसका पहला पैरा उपरोक्त है , के आधार पर कुछ लाइन मैंने भी लिखी है जो निम्न है। —————- “”” “”””””””””-अब मेरी रचना”””””””””” हम देखेंगे हम देखेंगे हिन्दू और मुस्लिम को लड़वा कर। कौम को क़बीलों में बटवा कर। जब कौम उठा लेगी तिरंगा। और क़बीले मिट मिट जाएंगे। तब ताज़ हिलेगा “फेकू” का। “डमरू” भी काम न आयेगा। हम देखेंगे हम देखेंगे यह जुल्म, सितम की बादशाहत। मीडिया को तुमने कैद किया। यह चल न सकेगा दौरे जहां। और ताज़ हिलेगा तानाशाही का। तब राज करेगी है जनता। और असली रामराज्य आयेगा। हम देखेंगे हम देखेंगे ×××××÷×××××÷××××× “फैज साहब” के इस नज़्म पर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति तानाशाह जिया उल हक ने प्रतिबंध लगा दिया था और मुल्क में साड़ी पहनने पर भी रोक लगा दी थी लेकिन उसके बावजूद मशहूर गुलूकारा “इक़बाल बानो” ने साड़ी पहनकर एक सभागार में इसको गाने की हिम्मत की थी ।

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“हम देखेंगे लाज़िम है कि हम भी देखेंगे। वह दिन कि जिसका वायदा है। हम देखेंगे” पाकिस्तान और हिंदुस्तान के मशहूर शायर फैज़ अहमद फ़ैज़ की मशहूर नज़्म जिसका पहला पैरा उपरोक्त है , के आधार पर कुछ लाइन मैंने भी लिखी है जो निम्न है। —————- “”” “”””””””””-अब मेरी रचना”””””””””” हम देखेंगे हम देखेंगे हिन्दू और मुस्लिम को लड़वा कर। कौम को क़बीलों में बटवा कर। जब कौम उठा लेगी तिरंगा। और क़बीले मिट मिट जाएंगे। तब ताज़ हिलेगा “फेकू” का। “डमरू” भी काम न आयेगा। हम देखेंगे हम देखेंगे यह जुल्म, सितम की बादशाहत। मीडिया को तुमने कैद किया। यह चल न सकेगा दौरे जहां। और ताज़ हिलेगा तानाशाही का। तब राज करेगी है जनता। और असली रामराज्य आयेगा। हम देखेंगे हम देखेंगे ×××××÷×××××÷××××× “फैज साहब” के इस नज़्म पर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति तानाशाह जिया उल हक ने प्रतिबंध लगा दिया था और मुल्क में साड़ी पहनने पर भी रोक लगा दी थी लेकिन उसके बावजूद मशहूर गुलूकारा “इक़बाल बानो” ने साड़ी पहनकर एक सभागार में इसको गाने की हिम्मत की थी । Read More »